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अक्षरों में उलझे मन के जज़्बात!

R N ShuklaR N Shukla October 8, 2021
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अक्षरों में उलझे

मन के जज़्बात

शायद! कभी पढ़ पाते?

मजलूम जिंदगी की

आँखों की भाषा!

कभी समझ पाते?


एक दिन व

एक दर्द-भरी रात

जिसको सहना–

कितना मुश्किल-भरा

होता है काम!

जिसने समेटे हैं

पूरी कायनात!



इसमें मजबूर आम आदमी के

दास्तान-ए-जिंदगी की–

पूरी किताब!

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