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तुम्हारे लबों पे बात हो।

R Dilshad ahmadR Dilshad ahmad February 10, 2023
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तुम्हारे लबों पे बात हो
और वस्ल की रात हो
हम मिले कुछ ऐसे
जैसे आखिरी मुलाकात हो

लबों से जो भी कहो सब झूठ हो
आंखों में ही सिर्फ सच हो
धड़कने हमारी इतनी तेज धड़के
जैसे सासें रुकने का इंतज़ार हो

तुम मायूस नजरो से मुझे देखते रहो
और मेरा ख़ामोशी से तुम्हें सुनना हो
तुम्हारा हर बात कहना ऐसे तोल मोल कर
जैसे हर अल्फाज़ आखरी बार कहना हो

 तुम्हारा ना बिछड़ने का वादा हो
और मुझे हकीकत का अंदाज़ा हो
तुम्हारी नज़रे ऐसे झुकती रहे
जैसे झूठ पकड़े जाने का डर हो

अब हमारा हिज्र का वक्त हो
और न विदा लेने का मन हो
हम ऐसे गले लगा ले एक दूसरे को
जैसे वक्त को थामने का इरादा हो।।

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