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तुम्हारा जिक्र

R Dilshad ahmadR Dilshad ahmad May 15, 2023
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तुम्हारा जिक्र आज भी करता हूं मैं
वहां पर जहा सब खामोश होते हैं 
बस तुम्हारी ही दास्तां बयां होती हैं
और सब मदहोश होते हैं 
बड़े ही गुरूर से सुनाता हूं किस्सा तुम्हारा
सब बड़े ही अदब से सुनते हैं हर बात मेरी
किसी को पसंद आती हैं अदावते तुम्हारी
तो कोई सदका देता हैं अंदाज - ए - कत्ल पे तुम्हारे
बहुत कम होते हैं जो मुझको लाचार नजरों से देखते हैं 
वरना सब तुमपे कुर्बान होने को तैयार होते हैं 
कोई कहता हैं तुम कातिल खूबसूरत हो
तो किसी को तुम्हारे हाथों मरने का इंतजार हैं 
किसी ने ज़ख्म मेरा देखा ही नहीं 
सब तुम्हारे खंजर के दीवाने हैं
मैं बयां करता हूं हाल - ए - दिल अपना
मगर सब तुम पे ही मरते हैं।

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