Share0 Bookmarks 48500 Reads0 Likes
दिन में भी अंधेरा क्यों हैं
ये खामोशी चीख रही हैं क्यों
तेरी बातों का कुछ तो मतलब हैं
तेरी यादों में शाम ढली हैं क्यों
कुछ तो हैं जो यूं मायूसी हैं
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments