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दिन में भी अंधेरा क्यों हैं

R Dilshad ahmadR Dilshad ahmad February 13, 2023
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दिन में भी अंधेरा क्यों हैं
ये खामोशी चीख रही हैं क्यों

तेरी बातों का कुछ तो मतलब हैं
तेरी यादों में शाम ढली हैं क्यों

कुछ तो हैं जो यूं मायूसी हैं
मेरे आंखों से अश्क छलके हैं क्यों

हिज्र का आलम हैं या मेरा वहम हैं
मेरे ज़ानिब इतना तन्हाई हैं क्यों

जो तूने रूखसती वक्त आने का वादा लिया हैं
फिर तुम्हें खोने का मलाल हैं क्यों।

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