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बस्तियां जल गई हैं

R Dilshad ahmadR Dilshad ahmad February 15, 2023
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बस्तियां जल गई हैं
जलने हैं ख़्वाब और कितने

बा -दस्तूर नज़र आ रहे हैं
नज़र आने हैं आंखों में खौफ और कितने

जो इमारतों से आवाजें गूंज रहे हैं
मासूम चींखो से बनाने है धुन और कितने

कौन हैं जो खून के धब्बें देख हूंकार भर रहे हैं
खून से लथपथ गोश्त देखने हैं और कितने

कोई तो रोक ले बर्बाद - ए - गुलिस्तां को
इंतज़ार हैं कब्रिस्तान होने को शहर और कितने।

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