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बेहतहां पीड़ा

puspasindhupuspasindhu March 15, 2023
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जब इन्सान हद से गुजर कर मानसिक,

शारीरिक पीड़ा सहन कर जाता है,

खोफ के साये से गुजर रहा होता ।

दर्द में आंसू ना निकले जख़्मो को सहलाने

वाला नही हो ।कभी-कभार पीड़ा असहनीय।

देह मृत सी लगने लग जाए। ऐसा इन्सान

के लिए उत्सव, खुशी के मायने ख़त्म

होते चलते । जिन्दगी इस असीम पीड़ा

से गुजरकर जीने के मायने खो चली ।

अपनो को देखा जब आँखें अन्दर ही अन्दर भर आयी ।

होठों पर दुख की असहनीय पीड़ा। बिना कुछ कहे लोट गई।

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