प्रकृति's image
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पानी के बहाव से आती आवाज मौजूद है
हवाओं से होती पत्तियों में सरसराहट मौजूद है
पहाड़ों में शांति के साथ
शब्दों का अनुनाद मौजूद है
पत्तियों में अब तक हरापन है
फूलों में खुशबू बरक़रार है
पेड़ों तले छांव है पंछियों की चहचहाहट के बीच
गिलहरियों की उछलकूद अब तक मौजूद है
विशाल वृक्ष तले नन्हें पौधों की
छोटी छोटी क्यारियों में पानी का जाना
नन्हें जीवों का पानी से बचना भागना 
ठंडे पानी में सनी मिट्टी को हाथ में लेने पर 
होने वाला सुखद अहसास ।
सूर्योदय की रौनक 
लालिमायुक्त सूर्यास्त का दर्शन
अब भी मौजूद है।
मैं नहीं समझ पाता 
मशीनें ये अहसास कैसे पैदा कर पाती होंगी
कर पाती होंगी या नहीं 
बंद कमरे की मशीनी ठंडक 
मशीनों के चलते फिरते बोलते चित्र
गीत बुनने वाली मशीनें 
कहां तक हृदय को छू पाती होंगी
मैं बस सोचता हूं 
बस सोचता हूं 
काश ये अहसास हम कर पाते 
काश हम अर्धमशीन बनने के बजाय
इंसान बने रह पाते । 

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