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कच्ची उम्र के मासूम चेहरों की
फैली हुई हथेलियां
बेबस आंखें उम्मीदों में डबडबाती
महज़ उनकी स्थिति
नहीं दर्शाती,
वह दर्शाती हैं समाज की
अव्यवस्था, असभ्यता को
यह साबित करती हैं
तमाम तथाकथित समाजसेवियों
नेताओं के वादे
महज़ दिखावा है, धोखा है।
फैली हुई हथेलियां
बेबस आंखें उम्मीदों में डबडबाती
महज़ उनकी स्थिति
नहीं दर्शाती,
वह दर्शाती हैं समाज की
अव्यवस्था, असभ्यता को
यह साबित करती हैं
तमाम तथाकथित समाजसेवियों
नेताओं के वादे
महज़ दिखावा है, धोखा है।
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