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Zyada Poetry ContestPoetry1 min read

वो माथा चूम लेती है

Pushpendra Pal SinghPushpendra Pal Singh November 12, 2022
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“मेरी माँ”


मै जो रूठ जाऊँ तो

वो माथा चूम लेती है


थोड़ी देर जो ओझल हो जाऊँ तो

घर वो पूरा घूम लेती हैं


ज़रा जो - 2

कभी हुआ बीमार तो

सारे तीर्थ सारे धाम घूम लेती हैं


कड़ी धूप में वो

उसका जलना याद आता है

मुझे पेड़ की छाँव में सुलाना याद आता है


कैसे भूल जाऊँ मैं

उसका वो नोनी ghee की रोटी खिलाना याद आता है


जिसने उसको कभी

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