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तू मुझे,
तू मुझे तुझसे मिलने के
सुकून में रहने दे
हर रोज़ तेरी गली से गुजरता हूँ
हर रोज लगता है कि मुद्दत हुईं
ग़र हुए तुम. हासिल मुझे
फिर ये ये गुजरना होगा
मुझे गुजरने के जुनून में रहने दे
रचना :पुष्पेंद्र पाल सिंह
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