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छूने लेने दो
ये सुराही सी गर्दन तुम्हारी
मेरे कुम्हार से हाथ है
नाप ले रहे हैं
अक्स अक्स
मेरी रगो बन जाएगी तस्वीर तुम्हारी
माना कि तेरा
मुझमें मिल जाना मयस्सर नहीं मुझे
कि तुम उतर आओ
कौन से रंग से
रंगू तस्वीर तुम्हारी
उठाया ग़र जो कोई भी रंग मैंने
हर रंग ये बोला
जिससे भी रंगू
खुल जाएगी क़िस्मत हमारी
रचना :पुष्पेंद्र पाल सिंह
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