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क्या रहा बाकी अब
उस बरसात के बाद
यादें दफना दी गयी
आख़िरी मुलाक़ात के बाद
कुछ नहीं बहुत कुछ
टूटा है उन चूड़ियों के साथ
बिंदिया छूटी चुटकी छूटी
छाया अंधकार काजल मिटने के साथ
जड़ों में कुछ जड़ सा गया है
बूँद बूँद खून रिस रहा हैं
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