बात हैं.......
बात हैं कि
बात का असर कितना हो
ले जाऊँगा तुम्हें तुम्हीं से चुराकर
चाहे तो तालों का ज़िक्र कितना हो
ये जो सुर्ख़ लाल लब है तुम्हारें
पहले हुआ करते थे तुम्हारें
बोसा जो हुआ तकसीद
अब है ये हमारे
रचना:पुष्पेंद्र पाल सिंह
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