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हम क़दम हम भी चले थे दूर तक,
पर रही मंज़िल हम्हीं में , ले दे के !
था सफ़र तो आसमां तक साथ थे
पर रही मंज़िल ज़मीं पे, ले दे के!
पास मेरे जो भी है सब कुछ है उसका
पर रही धड़कन हमहीं में, ले दे के !
झूमते हैं आज भी त
पर रही मंज़िल हम्हीं में , ले दे के !
था सफ़र तो आसमां तक साथ थे
पर रही मंज़िल ज़मीं पे, ले दे के!
पास मेरे जो भी है सब कुछ है उसका
पर रही धड़कन हमहीं में, ले दे के !
झूमते हैं आज भी त
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