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रंग अब रंग नहीं रहे,
रंग अब मज़हबी हो गए है।
नारंगी रंग अब अपने है,
हरे रंग पराए हो गए है।
कपड़े कभी थे सूती और रेशमी,
अब केवल नारंगी और हरे रह गए है।
ए शजर! तुम अब हरे नही,
नारंगी पत्ते उगाओ।
ऑक्सीजन दो नारंगी रंग की,
हरे रंग की कार्बनडाइऑक्साइड खाओ।
~ पुरुषोत्तम
@Bestboy3108
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