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सोलहवाँ बसंत है यौवन चटक रहा है
पुष्प की खोज में मधुकर भटक रहा है
फूल ही फूल खिले हैं बगिया में , परंतु
नज़र तो कंटीले फुल पर अटक रहा है
×××
©पुरुषोत्तम
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सोलहवाँ बसंत है यौवन चटक रहा है
पुष्प की खोज में मधुकर भटक रहा है
फूल ही फूल खिले हैं बगिया में , परंतु
नज़र तो कंटीले फुल पर अटक रहा है
×××
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