मैं गांँव सा सादा और चमचमाता शहर हो तुम
उलझ जाता हूंँ जिन अदाओं में भंँवर हो तुम
क्या कहूंँ हुस्न की तारीफ़ में जब भी देखता हूंँ
मुंँह से निकलता है.... वाउ कतई ज़हर हो तुम
×××
©पुरुषोत्तम
#purushottam
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