अबके होली भी कोरा तुम्हारा गाल रह गया
हाथों में मेरे लाल हरा पीला गुलाल रह गया
हाथों ने ना गाल छुआ , ना गालों ने ही हाथ
दोनों को बस इसी बात का मलाल रह गया
×××
©पुरूषोत्तम
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