बात कुछ उलझी सी's image
Poetry1 min read

बात कुछ उलझी सी

puneet.mewara.udzpuneet.mewara.udz November 30, 2022
Share0 Bookmarks 44802 Reads0 Likes

  

बात कुछ उलझी उलझी सी है, यकीन नहीं खुद पर अब तो,

पता नहीं अपने हुए या अपना बना कर चले गए,

बात कहा शुरू हुई और किस मंज़िल पे आके रुकी,

अब तो एहसासो में ही ज़िंदगी कटेगी लगता है कभी कभी,

या हो शयद ऐसा भी पा ही लेंगे तुमको अभी अभी, 

चाहे मर कर ही ।  

यह बात ही कुछ ऐसी है,

लब्ज़ो में बया

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts