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बात कुछ उलझी उलझी सी है, यकीन नहीं खुद पर अब तो,
पता नहीं अपने हुए या अपना बना कर चले गए,
बात कहा शुरू हुई और किस मंज़िल पे आके रुकी,
अब तो एहसासो में ही ज़िंदगी कटेगी लगता है कभी कभी,
या हो शयद ऐसा भी पा ही लेंगे तुमको अभी अभी,
चाहे मर कर ही ।
यह बात ही कुछ ऐसी है,
लब्ज़ो में बया
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