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आजकल कुछ जल्दी ही बिखरने लगा हूँ,
छोटी छोटी बातों पे ही टूटने लगा हूँ।
खो रहा हूँ खुद को ऐसा लगता या,
कहीं कुछ और पाने में खुद को जानबूझ कर खोने लगा हूँ ।
तकलीफ में है दिल मेरा, रौशनी कहीं नज़र नहीं आती।
अब...लगता है, किसी एक से महोबत कर इस दिल ने गुनाह किया,
वो मेरी दुनिया अब कहीं नज़र नहीं आती।
ऐ ख़ुदा बस एक अहसान और कर,
या तो मुझे मोत अता कर,
या मेरा इश्क़ कबूल कर।
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