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सत्ता


सत्ता की गलियों से दूर

जहां हवा थी सांस लेने को

जहां रास्ता था चलने को

जहां धड़कते दिल के नीचे एक पेट था।

जहा सांसद-वांसद कुछ नहीं था,

जहा अख़बार नहीं मिलते थे

जहा "न्यूज़-रूम"जैसा कोई शब्द नहीं था

वहा भी सत्ता चली हमपे।


हर चीज़ की सत्ता चली हमपे

जैसे कुछ भी मिलने से पहले

या कुछ भी मिलने के बाद।

और इन दोनों के बीच में

न मिलने की सत्ता चली हमपे।


जैसे रोटी के एक टुकड़े की,

शरीर मिला तो किसी बिमारी की

प्रेम मिला तो हैसियत की

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