मुलाक़ात's image
Share0 Bookmarks 231 Reads0 Likes
आसमान में जितने सितारे हैं,
उतना तुम्हारा प्रेम;
मेरे लिए।

सितारों के बीच जितनी छूटी जगह है,
उतना मेरा प्रेम;
तुम्हारे लिए।

© बाबुषा
#baabusha

उपरोक्त कविता मैंने सबसे पहले 2019 में योरकोट पर पढ़ी थी। पढ़ते ही पंक्तियाँ घर कर गईं और आज तक वहीं हैं। यह वह दिन था जब पहली बार मेरा परिचय बाबुषा कोहलीजी की कविताओं से हुआ, मन में जिज्ञासा बढ़ी और मैंने इंटरनेट खंगालना शुरू कर दिया और गूगल बाबा ने तमाम सोशल मीडिया के लिंक समक्ष रख दिये।
:
एक के बाद एक कई कविताएँ पढ़ीं, घण्टों बीत गये पर मन और अँगूठा दोनों ही बस में नहीं थे, पहली कविता पढ़ते ही मन उस कविता के साथ रम गया और अँगूठा स्क्रीन पर दिखने वाली दूसरी कविता पर...
:
बर्फ़ीली वादियों में पहली बार अपने हाथों से बर्फ़ छूने का सुख या सोते हुए किसी शिशु की मुस्कुराहट को देखने का सुख या रेडियो पर अचानक से अपने पसंदीदा गीत आने पर गुनगुनाने का सुख जो होता है, ठीक वैसा ही सुख मुझे बाबुषा कोहलीजी की कविताओं को पढ़कर मिलता है, उनकी कविताओं को पढ़ना और पढ़कर उसे महसूस करना ही अपने आप मे एक सुखद अनुभूति है।
:
अभी हाल ही में रुख़ पब्लिकेशन (#rukhpublications) द्वारा प्रकाशित उनकी पुस्तक "भाप के घर में शीशे की लड़की" मुझे तोहफ़े में मिली और अपने पसंदीदा लेखक की किताब का तोहफ़े में मिलना ही एक पाठक के लिए दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत तोहफ़ा होता है।
:
यह किताब, किताब नहीं, जीवन की यात्रा है, एक ऐसी यात्रा जिसका हर एक अध्याय ज़िन्दगी के उन पहलुओं को स्पर्श करता है जिसे छू कर ही आप इस यात्रा के रोमांच और प्रेम में आगे बढ़ते चले जाएँगे और इस ख़ूबसूरत सफ़र में आप मुख़ातिब होंगे उन तमाम विषयों पर जिसे आपने आज तक जानने और समझने की कोशिश की है और गर नहीं कि है तो मेरा दावा है कि इस किताब को पढ़ने के पश्चात आप जीवन को पहले से बेहतर जानने और समझने लगेंगे।
:
यह सफ़र एक ख़ूबसूरत आरंभ और प्रार्थना के साथ, देखने और जानने की क्रिया से लेकर, सत्य और विश्वास को संजोये हुए एक ऐसा सफ़र तय करती है जो आपको जंगल, चिड़िया, पृथ्वी, पानी से होते हुए, बड़ा होना, बूढ़ा होना,

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts