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कुछ कहना है मुझे तुमसे, तुम सुनने कभी आओगी क्या।
गुज़ारा है जो वक्त साथ हमने, वो वक्त संग फिर बिताओगी क्या।
कुछ भी तय नहीं था कभी, अनजाने में थे हम मिले,
फिर वो अनजानी मुलाकाते दोहराओगी क्या।
कुछ कहना है मुझे तुमसे, तुम सुनने कभी आओगी क्या।
मैने देखे है कुछ ख्वाब तुम्हारे, साथ आ मेरे उन्हें सजाओगी क्या।
जो वादे किए है एक दूजे से हमने, कभी उन्हें भुलाओगी क्या।
दुनिया भले ही ठुकराए मुझे, लाज़मी है तुम मुझे अपनाओगी क्या।
कुछ कहना है मुझे तुमसे, तुम सुनने कभी आओगी क्या।
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