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तुम मानो या ना मानो, पर मेरी कविता का सार हो तुम।
उम्र भर जो किया है मैने, वो हसीन इंतजार हो तुम।
अक्सर तुम ही कर देती हो बेकरार मुझे,
पर इस बैचेन दुनिया में, मेरा करार हो तुम।
तुम मानो या ना मानो, पर मेरी कविता का सार हो तुम।।
जिसे देख कर मैं ठहर जाऊ, वो दिलकश मकाम हो तुम।
जिसको मैं कभी हारना ना चाहूं, ऐसी एक हसीन तकरार हो तुम।
वक्त हो, अहसास हो, मेरे लिए मेरा संसार हो तुम।
तुम मानो या ना मानो, पर मेरी कविता का सार हो तुम।।
थकान से
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