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के उसे ढूंढने कभी कोई उसके घर गया होगा।
ना मिला जब वो कही, तो सोचा शायद शहर गया होगा।
भटकता रहा वो शख्स किसी की तलाश में दर बदर,
ना जाने बिछड़ कर किधर गया होगा।
बन कर खुदा बैठा था जो कभी दिल में उसके,
वो शख्स भी अब बशर गया होगा।
कोशिश की बहुत उस शख्स को पाने की उसने,
सब ने सोचा अब तक टूट कर बिखर गया होगा।
और लौटा ना कभी वो वापिस जिंदगी की रफ्तार में,
सबको लगा की शायद मर गया होगा।
-Nick's_Thoughts
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