वो's image
Share0 Bookmarks 48248 Reads1 Likes

उसके वजूद पर हर रोज़ सवाल उठते हैं,

कभी किसी की बातों में,

कभी किसी के तानों में,

अपने अस्तित्व को पहचानने की कोशिश करती हैं,

जिन्दा होकर भी वो रोज़ मरती हैं।

घर के एक कोने में बैठी वो अपने आंसुओं की माला पिरोती हैं,

अंधेरी रात में चमकते सितारों सी,

चाँद की रोशनी में वो कहा किसी को दिखती हैं,

मोतियों से भरी उन आखों से हर किसी को बड़ी उम्मीद से ताकती रहती हैं,

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts