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कुछ बे-हया औरतें
उतरी हैं सड़क पर
अपना चेहरा दिखातीं,
जल्दी ढको उन्हें
कि दिख ना जाए
उनका दर्द और उदासी
कुछ बे-हया औरतें
नहीं रहना चाहती
फूल सी नाजुक,
तोड़ डालो उन्हें
कि बदल न जाएं
वो शोलों में
कुछ बे-हया औरतें
बोलने लगी हैं,
दबा दो ये आवाज़
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