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काश कि जानां मिले ही ना होते,
सहरा में यूं गुल खिले ही ना होते।
तुम अनजान होते, हम अनजान होते,
चले मोहब्बत के सिलसिले ही ना होते।
ना कदम यूँ बढ़ाते, ना मिलते-मिलाते,
ये इश्क, ये शिकवे-गिले ही ना होते।
इक दिल ही तो था जो अपना था,
तुम दिल ले के य
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