चांद से सुलह's image
Share0 Bookmarks 241047 Reads0 Likes

सोचा चांद से आज, मैं सुलह कर लूं

चाय पे बुला कर कुछ, जिरह कर लूं !


आखिर कब तक करूं, नजरंदाज उसे

दिल कहता है फिर दे दूं , आवाज़ उसे !


क्या हुआ जो उसके, नखरों से परेशान हूं 

आखिर फितरत से मैं भी, एक इंसान हूं !


साथ उसके मैं, आस्मा का सफर कर लूं

सोचा चांद से आज, मैं सुलह कर लूं !

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts