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यूँ तो पढ़ लूँ मैं सब
पर समझने में चूक सी जाती हूँ
यें बारिशें जो बेतहाशा बरस रही हैं
ये भी इन्ही का कहना है
कि हाँ मैं सर्द मौसम सी बहक जाती हूँ
ऐसा नहीं है कि पता चलता नहीं मुझे
सच तो ये हैं कि बंधी-जकड़ी सी मैं
इन हालातों को बखूबी समझ पाती हूँ
पर डर लगता है टूट जाने का
या सच कहूं तो
ये सब इन सर्द मौसम में बरसती बारिश की तरह ही तो है
डरावनी मगर खूबसूरत।
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