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जिसे मैंने जान माना वो हरजाई निकले
मोहब्बत से मेरे करके बेवफ़ाई निकले
वो बातें सारी झूठी कसमें सभी फ़र्ज़ी थे
मेरी मता-ए-जाॅं के सारे वादे हवाई निकले
जन्नत सी जिंदगी को जहन्नुम सा जला दिया
मुड़कर देखा भी नहीं जब करके जुदाई निकले
सर्द रातों के सितम सह लेंगे अकेले ही
क्यों उसकी खुशबू वाली वो रजाइ निकले
चारासाज़ों की मुझको कोई ज़रूरत नहीं है
दिल चाहता ही नहीं इस दर्द की दवाई निकले
मोहब्बत से मेरे करके बेवफ़ाई निकले
वो बातें सारी झूठी कसमें सभी फ़र्ज़ी थे
मेरी मता-ए-जाॅं के सारे वादे हवाई निकले
जन्नत सी जिंदगी को जहन्नुम सा जला दिया
मुड़कर देखा भी नहीं जब करके जुदाई निकले
सर्द रातों के सितम सह लेंगे अकेले ही
क्यों उसकी खुशबू वाली वो रजाइ निकले
चारासाज़ों की मुझको कोई ज़रूरत नहीं है
दिल चाहता ही नहीं इस दर्द की दवाई निकले
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