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एक ग़ज़ल यार के लिए

Priyam DubeyPriyam Dubey May 25, 2022
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सोचा लिखूं इक ग़ज़ल अपने यार के लिए
कुछ तारीफ़ भी लिख दूं एक बार के लिए

मैं सियह आसमां सा, वो चांद तारे हैं मेरे
फिर चाहे जैसे हैं वो इस संसार के लिए

ज़माने भर से गुमशुदा रहने की आदत है
मेरे यार हीं काफ़ी हैं मेरे ऐतबार के लिए

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