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दिल की आरज़ू है कि तू मेरे दिल में ठहरे
मालूम हो मेरे दिल में ज़ख़्म है कितने गहरे
ज़माने को क्यों है तकलीफ़ हमारे रिश्ते से
मालूम हो मेरे दिल में ज़ख़्म है कितने गहरे
ज़माने को क्यों है तकलीफ़ हमारे रिश्ते से
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