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शायरी के दरमियॉं मुशायरा हम भूल जाते हैं
तेरी मोहब्बत में हर दायरा हम भूल जाते हैं
एक ज़माने से तो तूझे देखा भी नहीं मैंने
चलो आज तुम्हारा चेहरा हम भूल जाते हैं
कुछ नए ज़ख़्मों को दिल में जगह चाहिए
तो तेरे दिए कुछ दर्द ज़रा हम भूल जाते हैं
एक ज़माने से तूझे मेरी याद भी नहीं आई
तो कुछ पल मोहब्बत भरा हम भूल जाते हैं
तेरी मोहब्बत में हर दायरा हम भूल जाते हैं
एक ज़माने से तो तूझे देखा भी नहीं मैंने
चलो आज तुम्हारा चेहरा हम भूल जाते हैं
कुछ नए ज़ख़्मों को दिल में जगह चाहिए
तो तेरे दिए कुछ दर्द ज़रा हम भूल जाते हैं
एक ज़माने से तूझे मेरी याद भी नहीं आई
तो कुछ पल मोहब्बत भरा हम भूल जाते हैं
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