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समय बीतने के साथ
तुम्हारी स्मृतियां ओझल होती प्रतीत होती हैं
पर एक अंतराल के बाद वो फ़िर लौटती हैं
हृदय में नव अनुभूति उत्पन्न करते हुए
ये ऐसा है जैसे सदियों से धरा पर
सूर्य का उदय और अस्त होना,
चंद्रमा का घटना-बढ़ना
एक क्रम से निरंतर जारी है
तुमसे प्रेम की यात्रा भी मेरे भीतर जारी है
इसके कई पडाव तो हैं
पर इसका गंतव्य कहीं नहीं!
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