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तुम्हारी जिह्वा जब तुम्हारे अधरों से अठखेलियाँ करती है,
तेज हवा के झोंके से तुम्हारे गेसु जब तुम्हारे रुख़सार पर ढुलकते है,
आकाश की ऊन्चाई और समुद्र की गहराई लिए इन नेत्रों से जब तुम निहारती हो,
तुम्हारे कानों की बालियाँ जो जहां तहां तुम्हें छू जाती हैं,
तुम
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