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जब एक पुरुष का मन बेचैन हो या दिल आहत हुआ हो,
वो जा सकता है कोई भी ट्रेन या बस पकड़ कर किसी दूर कोने में,
निकल सकता है रातों को सुनसान सड़को पर खुद को तलाशने,
पर एक स्त्री सिर्फ़ चादर में मुंह छिपाकर रो सकती है,
उसे हक़ नहीं बाहर जाकर कुछ खोजने का.
जब एक पुरुष असमंजस में हो, चीज़ो को और जानना समझना चाहता हो&
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