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किसी ने मुझसे पूछा
क्या तुम्हें मरने से डर लगता है
मेरा जवाब था नहीं
क्योंकि डर मन का एक भाव है
और मरने के बाद तो शरीर, भावनाएं
सब समाप्त हो जाता है
मृत्यु के बाद क्या शेष है
ये हमें कहाँ पता है
बल्कि मुझे तो लगता है
मौत नींद की तरह ही है
हम हर रोज़ सो जाते है
वह चेतना रहित अवस्था
मृत्यु के समान ही तो है
फिर उसने पूछा कि मान लो
तुम किसी गहरे जंगल में खो जाओ
तुम्हारी गर्दन पर कोई खंजर रख दे
बहुत ऊँचे पहाड़ से तुम्हारा पैर फिसल जाए
उस वक्त तुम क्यों डरते हो
इसीलिए ना कि तुम मर जाओगे
मैंने कहा नहीं इसलिए नहीं
उस समय मुझे डर लगेगा कि
अगर कोई जंगली जानवर मुझ पर झपटा
मेरी गर्दन पर चाकू चल गया
या मैं खाई में गिर गया
तो मुझे 'दर्द' होगा
मुझे दर्द से डर लगता है मरने से नहीं
लेकिन मैं तुम्हें एक बात बताऊं
ऐसे तो दुनिया
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