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वो कहते हैं कि हमने तुमसे ज्यादा दुनिया देखी है, ज्यादा जिम्मेदारी देखी है
अगर उन्हें वक्त मिले तो ज़रा पूछना उनसे
माली जिसे रोज़ पानी देता है;
क्या उन्होंने अपने घर की वो फुलवारी देखी है?
क्या सुनी है अपनी प्रियतमा की पायल की रुनझुन,
क्या उसकी चूडियों की मीनाकारी देखी है ?
कभी गौर किया है उस नन्हे बालक की मुस्कान पर,
क्या पल-पल बदलती उसके मुख के भावों की फनकारी देखी है?
एक परिवार पालना है ; इस खातिर वो जिल्लत भी सह गया,
जब आपने उसे डान्टा तो उसकी आंखों में आए पानी के साथ क्या उसकी लाचारी देखी है?
हज़ार गज की जमीन खरीद कर मन ही मन इतराते हैं,
कभी देखा है आपने ब्रह्मान्ड का अनंत विस्तार;
सृष्टि के रचयिता की कारगुज़ारी देखी है?
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