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कोई शख्स है जो पास नहीं है
कोई चेहरा है जो दूर जाता नहीं है
नैना छलक जाते हैं हर जगह
मेरे गागर में ग़म समाता नहीं है
दोस्ती उसने हज़ारों से कर ली लेकिन
दिल से किसी एक से भी निभाता नहीं है
मरहम मुझे दर्द देती है फिलहाल
जख्म मेरा दवा से भरा जाता नहीं है
सरेआम देता है अब गाली आदमी
पास खड़े लोगों से शर्माता नहीं है
पिंजरे की दुनिया में खुश है परिंदा
आसमां छूने को वह फड़फड़ाता नहीं है
ख्यालों में इस कदर खो जाता है वो अक्सर
बिजली आने पर भी शमां को बुझाता नहीं है।
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