स्मृतियां's image
Share0 Bookmarks 236925 Reads0 Likes

चांद तक वों स्मृतियां पहुंचती हैं,

जो सूरज की तपन में जलकर,

संवर कर बनती हैं !

और वही स्मृतियां

प्राय विलीन हो जाती हैं

मानसून की पह

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts