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चांद तक वों स्मृतियां पहुंचती हैं,
जो सूरज की तपन में जलकर,
संवर कर बनती हैं !
और वही स्मृतियां
प्राय विलीन हो जाती हैं
मानसून की पह
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चांद तक वों स्मृतियां पहुंचती हैं,
जो सूरज की तपन में जलकर,
संवर कर बनती हैं !
और वही स्मृतियां
प्राय विलीन हो जाती हैं
मानसून की पह
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