स्मृतियां's image
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चांद तक वों स्मृतियां पहुंचती हैं,

जो सूरज की तपन में जलकर,

संवर कर बनती हैं !

और वही स्मृतियां

प्राय विलीन हो जाती हैं

मानसून की पहली बारिश में....

ये पानी जहां भी ठहरता है

गहरे समुद्र सा मौन रखता है,

और उस मौन की चीखें

केवल चांद ही समझता है!

     - प्रीति नागपाल

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