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बादो पे क्या भरोसा करे,हर बार उसे तुम तोड़ते गये ।

प्रवीण मुन्तजिरप्रवीण मुन्तजिर August 26, 2021
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बादो पे क्या भरोसा करे,हर बार उसे तुम तोड़ते गये ।

तुम्हारी तरफ चले हमसफर बनने,और तुम मुह मोड़ते गये।

हाथ पकडा साथ निभाने के लिए,और तुम छोड़ते गये।

हम तरसे एक मुलाकात को,तुम थे जो बादे पे बादे करते गये l

तेरे कई सावन और कई बादे के गुजर गये।

सवरने से पहले ही मेरे अरमां बिखर गये।

बिछड के हम मिलेंगे एक दिन, कि जुदाई के फिर दिन आ गये।

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