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"चुनना" कितना कठिन होता है।
कुछ लोग जीना चुनते हैं
किसी भी तरह।
तो कुछ भूख और भूख
भूख,भूख नहीं रहती
हवस हो जाती है,
और हवस चुनती है
हर भूखे को अपनी चार दीवारी में।
और गीदड़ो का हुजूम
चिल्लाता है
मेरी भूख और भूख
और कुर्सी!
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