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दिल खोलिये सभी को आने दीजिये
जिसे जाना हैं उसे चले जाने दीजिये
आपका जी क्यों नहीं भरता पीने से
प्यास को गले तक तो आने दीजिये
जब हालात पे सब हँसे तो क्यों रोये
होठों को खोलिए मुस्कुराने दीजिये
उनसे कहिये की आप याद करते हैं
जो चाहे भूलना तो भुल जाने दीजिये
एक इसी में तो देखिए 'प्रवीण' हैं हम
हो रहें हैं बर्बाद तो हो जाने दीजिये
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