हम नें कितना खोया हैं ये समझाना मुश्किल हैं
जितना उसका मुझकों दोस्त बताना मुश्किल हैं
उसके साथ इतना दूर निकल आया था की अब
उम्र बीत जायेगी मग़र लौट के आना मुश्किल हैं
जितनी तेज़ी से रेल चले उतना ही ग़म बढ़ता हैं
जान
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