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बुझते दिये को हम हवा का दें सहारा क्या करें

PRAVEEN BHARDWAJPRAVEEN BHARDWAJ March 15, 2023
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बुझते दिये को हम हवा का दें सहारा क्या करें

जो था हमारा है नहीं जो नइँ हमारा क्या करें


था उम्र भर का काम ही गिरते हुए को रोकना

जो हम गिरें तो हो गए हैं बेसहारा क्या करें


हम साथ उनके तब भी थे जब कोई भी होता नहीं

वो छोड़ कर जाते हैं तो उनको पुकारा क्या करें



हाँ थी मोहब्बत आपसे और हैं मोहब्बत आपसे

अब है हक़ीक़त ये ही तो इसको नकारा क्या करें


अब बेचकर भी ख़्वाब सारे रह नहीं सकते हैं हम

जब हो गया है वक़्त ही तो अब गुज़ारा क्या करें


इस आसमाँ में था ही क्या तेरे सिवा मेरे सिवा

जब तू नहीं तो कुछ नहीं चाँद और सितारा क्या करें


जब वक़्त ने ही कर दिया ख़ामोश हमको इस क़दर कुछ भी ज़ुबाँ कहती नहीं आँखें इशारा क्या करें

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