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बड़े तक्सीम हैं ये ख़्वाब कभी इनको इकट्ठा कर
किसी मादूम से पल में कभी तू भी तो आया कर।
ज़रा जन्नत से कह दो दूर बैठे शोर न मचाया कर
मैं ख़ुद ही चला आऊंगा कभी दिल से बुलाया कर।
उन्हें मिलकर कहूँ बातें तो शायद वो समझ पाते
वो हमसे रोज़ कहते हैं कभी मिलने बुलाया कर।
अभी कल ही तो देखा था उन्हें कल ही से ओझल हैं
कल ही कहा हमनें के ख्वाबों में तो आया कर।
बड़ा दिलकश नज़ारा था के जब वो हमारा था
हमारे साथ ही तो कल तलक हर एक तारा था
कभी से जागता ह
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