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प्रेम से गुजरे बिना ही प्रेम को गुनहगार करार कर देना, अपरिपक्वता का पर्याय है।
जिससे तुम मिले नहीं,
जिसकी आँखों में तुमने
सुख दुःख के भाव देखे नहीं,
जिसके अतीत और वर्तमान के संघर्षों का सच तुम्हें पता नहीं,
उसके लिए कोई अवधारणा बना लेना ,
और निरन्तर उसी पर अड़े रहना,
तुम्हारी श्रेष्ठता नहीं
चहलता मात्र है ।
जीवन औऱ जीवित प्राणियों को देखने का तुम्हारा जितना विस्तृत दृष्टिकोण होगा ,
जीवन को तुम
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