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यदि बेटियां उड़कर आकाश छूना चाहें ,
तो ये समाज उनके पर कुतर देता है ।
बेटियां घर छोड़कर अपने सपनों के पीछे चली जाएं ,
तो ये समाज उन्हें बदचलन की पदवी देता है ।
बेटियां अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएं ,
तो ये समाज उनकी आवाज दबाने के सारे जतन करता है ।
बेटियां अगर अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुने ,
तो ये समाज उनका जीना मुश्किल कर देता है ।
इसके विपरित जब बेटियां कोख में मार दी जाती है ,
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