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प्रेम तलाशता है उन्हें,
जिनकी आदत है,
ऊँचें- ऊँचें पहाड़ों से रोज टकराना,
मुश्किलों का हर दरिया पार कर जाना ।
प्रेम तलाशता है उन्हें,
जिनकी आदत है,
अपने डर पे काबिज हो जाना ।
दाखिल होता है प्रेम,
जिसकी भी जिंदगी में ,
पीड़ाओं के सरोवर में
वह डूब जाता है ।
जो कायर होता है ,
वो टूट जाता है ।
उस अपात्र के हाथों से प्रेम ,
हड़बड़ाहट में कहीं छूट जाता है ।
सो प्रेम तलाशता है उन्हें,
आता हो जिन्हें,
पीड़ाओं के सरोवर में डुबकी लगाना ।
खेकर प्रेम की नाव ,
आता हो जिन्हें,
उस गहरे सरोवर के पार उतर जाना ।
प्रेम तलाशता है उन्हें,
जो जानते हों ,
अटूट धैर्य धरना ।
- प्रतिमा पांडेय
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